Ityadi

Gagan Gill Author
Hardbound
Hindi
9789388434249
1st
2019
168
If You are Pathak Manch Member ?

हम समझते हैं, हमने एक शाम के बाद दूसरी सुबह शुरू की है, समुन्दर में हमारी नौका वहीं पर रुकी रही होगी। नौका बहते-बहते किस अक्षांश तक जा चुकी, यह तब तक भान नहीं होता, जब तक सचमुच बहुत सारे दिन दूसरी दिशा में न निकल गये हों। अपने इन संस्मरणों को पढ़ कर ऐसा ही लग रहा है। क्या मैं इन क्षणों को पहचानती हूँ, जिनका नाक-नक्श मेरे जैसा है? 1984 के दंगों से बच निकली एक युवा लड़की। 2011 में सारनाथ में बौद्ध धर्म की दीक्षा लेती एक प्राचीन स्त्री। 2014 में कोलकाता में शंख दा से पहली ही भेट में गुरुदेव टैगोर के बारे में बात करती हुई लगभग ज्वरग्रस्त एक पाठक। ये मेरे जीवन के ठहरे हुए समय हैं, ठहरी हुई मैं हूँ। बहुत सारे समयों का, स्मृतियों का घाल-मेल । कभी मैं ये सब कोई हूँ, कभी इनमें से एक भी नहीं। यह तारों की छाँह में चलने जैसा है। बीत गये जीवन का पुण्य स्मरण। एक लेखक के आन्तरिक जीवन का एडवेंचर। हर लेखक शब्द नहीं, शब्दातीत को ही ढूँढ़ता है हर क्षण। बरसों पहले के इस अहसास में आज भी मेरी वही गहरी आस्था है। -गगन गिल

गगन गिल (Gagan Gill )

सन् 1983 में ‘एक दिन लौटेगी लड़की’ कविता शृंखला के प्रकाशित होते ही गगन गिल (जन्म: 1959, नयी दिल्ली, शिक्षा: एम. ए. अंग्रेज़ी साहित्य) की कविताओं ने तत्कालीन सुधीजनों का ध्यान आकर्षित किया था। तब से अब तक

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