Simant Katha

Hardbound
Hindi
9789389563818
1st
2020
184
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'सीमान्त कथा' उपन्यास के केन्द्र में हैं, सपनों से भरे दो तरुण वाणीधर और विधुभाल। दो भिन्न माध्यमों से समाज में परिवर्तन के आकांक्षी किन्तु समकालीन राजनीति की जटिलताएँ, राजनीति का अपराधीकरण तथा अपराध की राजनीति इन सभी प्रतिकूल परिस्थितियों से जूझते युवकों के जीवन का असमय तथा त्रासद अन्त होता है, जैसे भरी दोपहर में सूर्यास्त। विभिन्न जनान्दोलनों, जातीय संघर्षों तथा नरसंहारों की भूमि बिहार से उपजी यह कथा न केवल हमें उद्वेलित करती है बल्कि वामपन्थी राजनीति के खोखलेपन को भी उजागर करती है। 'सीमान्त कथा' केवल एक उपन्यास नहीं बल्कि 1974 के बिहार आन्दोलन के बाद के सबसे नाजुक दौर का जीवन्त दस्तावेज़ भी है। जातीय वैमनस्य की आग में धधकते इस प्रदेश में अमानवीय घृणा, क्रूर हिंसा तथा इन सबका पोषण करने वाली शासन व्यवस्था इनके बीच दो युवकों की परिवर्तनकामी इच्छाएँ, उनका उत्कट प्रेम उपन्यास में अपने पूरे तीखेपन के साथ उभरकर आता है। उपन्यास की लेखिका उषाकिरण खान ने बड़ी शिद्दत से इन जटिलताओं को अपनी प्रभावपूर्ण कथा-शैली में बाँधा है। अनेक स्थलों पर आंचलिक शब्दों के प्रयोग से कथा-प्रवाह में तीव्रता आयी है। सन् 2000 तक बिहार का परिदृश्य पारस्परिक द्रोह, ख़ून-ख़राबे का था। ऐसे समय बिहार के नौनिहाल हिंसा के शिकार हो रहे। ऐसे समय लेखक का उद्वेलित होना स्वाभाविक था।

उषाकिरण खान (Ushakiran Khan)

उषाकिरण खान हिन्दी एवं मैथिली साहित्य लेखन प्रकाशन। रचनाएँ: हसीना मंजिल, कासवन,अगनहिंडोला, सीमान्त कथा, आशा, दिनांक के बिना । पुरस्कार एवं सम्मान: बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् का हिन्दीसेवी पु

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