इस संग्रह में डॉ. रमेश पोखरियाल ‘निशंक' के अनेक प्रकाशित काव्य संग्रहों के चुनिन्दा गीत समाहित किये गये हैं। साथ ही कुछ गीत ऐसे भी हैं जो प्रकाशित नहीं हुए हैं।
आज मनुष्य के जीवन में आनन्द सूखता सा जा रहा है। ‘निशंक' के इन गीतों में जहाँ समाज की विसंगतियाँ, उसकी जटिलताएँ तथा उनकी विषमताओं से उपजी कुण्ठा रूपायित हुई है तो वहीं दूसरी ओर मनुष्य की एकान्तिकता और उसे आनन्द देने वाले सुकोमल क्षणों की रसधारा सी बहती हुई भी प्रतीत होती है।
इन गीतों में जन सामान्य की अपेक्षा-आकांक्षा, आशा-निराशा, दुख-दर्द तथा उसके संघर्ष को शब्दों में सँजोकर वाणी प्रदान की गयी है। प्रेरणा, प्रणय और देशभक्ति के इन गीतों की रसधार निश्चित रूप से आपको उद्वेलित, आनन्दित और प्रेरित करेगी।
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