Pita Bhi To Hote Hai Maan

Hardbound
Hindi
9789350729168
1st
2015
184
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इस संकलन की सभी कविताएँ एकान्त में दिया गया कवयित्री का निजी हलफनामा हैं। इनमें कोई कल्पना नहीं है, अपितु जीवनानुभवों की काव्यमय प्रस्तुति है । स्त्री का दर्द, एक स्त्री ही लिख सकती है, समझ सकती है । हम पुरुषों की औकात के बाहर है उनकी भीतरी दुनिया को जानना - समझना। 'रविवार का दिन', जैसी श्रेष्ठ अनुभवजनक कविता, केवल स्त्री, हाँ, केवल एक नौकरी पेशा स्त्री ही लिख सकती है। जिस तरह से यह कहा जाता है कि दलित साहित्य कोई गैर-दलित नहीं लिख सकता है, वैसे ही मेरा दावा है कि स्त्री साहित्य भी कोई पुरुष नहीं लिख सकता, बिल्कुल नहीं लिख सकता ।
प्रो. कालीचरण स्नेही



डॉ. रजत रानी ‘मीनू' की कविताओं से गुजरना दण्डकारण्य से गुजरने जैसा गझिन अनुभव है- कहीं तीक्ष्ण धूप, कहीं सघन छाँव, देसी जड़ी-बूटियों की तरल गन्ध से नहाई हुई छाँव, कहीं तीर-तरकश, कहीं-कहीं बाबा आम्टे का आश्रम, कहीं बच्चों को स्कूल और जीवन के बृहत्तर पाठों के लिए तैयार करती सजग-सरल मातृदृष्टि, भेदभावरहित नये समाज की संरचना बुनती मातृदृष्टि !

डॉ. अनामिका

रजत रानी मीनू (Rajat Rani Meenu)

रजत रानी मीनूजन्म : गाँव जीराभूड़, तहसील तिलहर, जिला शाहजहाँपुर, उत्तर प्रदेश के दलित परिवार में जन्म। सामाजिक एवं स्त्री सम्बन्धित विषयों पर पठन, लेखन और सामाजिक चेतना के कार्यों में निरन्त

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