Beech Bahas Mein

Hardbound
Hindi
9789387155664
2nd
2021
128
If You are Pathak Manch Member ?

निर्मल वर्मा की करुणा आत्मदया नहीं है, यह एक समझदार और वयस्क करुणा है। यह करुणा जीवन में विसंगतियों को देखती है और उन्हें समझती है, गोकि कुछ करती नहीं । निर्मल वर्मा की कहानियों के पात्र एक-दूसरे को भीतर से समझते हैं, इसलिए उनमें आपस में कोई विरोध या संघर्ष नहीं है, वे एक-दूसरे को काटते नहीं, एक-दूसरे के अस्तित्व की प्रतिज्ञाओं को तोड़ते नहीं। एक अर्थ में वे यथास्थितिवादी हैं। वे अपने केन्द्र पर अपनी अनुभूति की पूरी सजीवता से डोलते हुए सिर्फ स्थिर रहना चाहते हैं, न अपने आपको, न अपने परिवेश को और न इन दोनों के सम्बन्ध को ही बदलना चाहते हैं।

- मलयज



बीच बहस में एक मौत हुई थी। लगा था कि दिवंगत के साथ ही उसके साथ होने वाली बहस भी समाप्त हो गयी। पर बहस समाप्त हुई नहीं। हो भी कैसे? बहस केवल उससे तो थी नहीं, जो चला गया। वह तो अपने आप से है, उनसे है जो बच रहे हैं। और जो मौत भी हुई है, वह कोई टोटल, सम्पूर्ण मौत तो है नहीं। क्यों कोई मौत टोटल होती है?

- सुधीर चंद्र

निर्मल वर्मा (Nirmal Verma )

निर्मल वर्मा (1929-2005) भारतीय मनीषा की उस उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक-पुरुष हैं, जिनके जीवन में कर्म, चिन्तन और आस्था के बीच कोई फाँक नहीं रह जाती। कला का मर्म जीवन का सत्य बन जाता है और आस्था की चुनौत

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter