मनीषी आचार्यों ने मनुष्य के अस्तित्व, उसकी चेतना, उसके आनन्द, जिजीविषा, इच्छा और आकांक्षा पर बहुत कुछ कहा- लिखा है । उन ढेर सारी बातों में जो बात ज्यादा महत्त्वपूर्ण लगती है, वह है अपने इतिहास-भूगोल, स्वस्थ परम्पराओं, विरासतों, धरोहरों और यशस्वी व्यक्तियों के विषय में जानना । जानना उनके जीवन-संघर्ष के बारे में, उनके कृती व्यक्तित्व के बारे में, उनकी उपलब्धियों के बारे में। यह भी जानना कि आज जहाँ हम खड़े हैं जो सुख-सुविधा, संसाधन-संरक्षण- सम्मान हमें प्राप्त है उसकी विकास-यात्रा की कहानी क्या है - कैसी है? हमारे पूर्वजों का हमारे लिए प्रदेय क्या और कितना है?
कहा गया है- जानकारी (परिचय) से विश्वास होता है। विश्वास से प्रेम पैदा होता है और प्रेम ही आगे जाकर भक्ति (श्रद्धा) का रूप धारण कर लेता है। बेहद जरूरी है अपने अतीत को, इतिहास को जानना, उसे खँगालना, उसकी खूबियों खामियों से परिचित होना और उसके आलोक में अपने वर्तमान को सँवारना तथा अच्छे भविष्य की नींव रखना। अपने इतिहास, अतीत, विरासत और गौरवशाली परम्पराओं से कटकर कोई व्यक्ति-जाति जिन्दा नहीं रह सकती। इतिहास और वर्तमान के ज्ञान का आसव (रिक्थ) मनुष्य के स्वर्णिम भविष्य के लिए अमृत का काम करता है।
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