Leeladhar Mandloi
लीलाधर मंडलोई
जन्म : मध्य प्रदेश के छिन्दवाड़ा क़स्बे में 1953 में। समकालीन हिन्दी कविता के एक महत्त्वपूर्ण कवि के रूप में आठ कविता संग्रह और दो चयन प्रकाशित। सम-सामयिक सांस्कृतिक-साहित्यिक परिदृश्य पर चार पुस्तकें और एक आलोचना कृति भी प्रकाशित हो चुकी है! साहित्यिक अवदान के लिए राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर के अनेक सम्मान व पुरस्कारों से पुरस्कृत, जिनमें मुख्यतः पुश्किन सम्मान, शमशेर सम्मान, रज़ा, नागार्जुन, दुष्यन्त कुमार और रामविलास शर्मा सम्मान (सभी कविता के लिए) प्राप्त हो चुके हैं। साहित्य अकादेमी, दिल्ली से भी साहित्यकार और कृति सम्मान से सम्मानित।मेरा बचपन सतपुड़ा की घाटी में बीता। मैंने उसका रंगजगत देखा। जीव-जन्तु, पेड़-पौधे, नदी-नाले, उनकी आवाज़ें सुनीं। और संगीत और उन आदिवासियों से मिला, जिनकी साँसों में सतपुड़ा रचा-बसा था। उन मज़दूरों से मिला जो कोयला खानों में काम करते थे। वे भी सतपुड़ा की पुकारों में डूबे थे। सतपुड़ा की ऋतुओं में सबका मस्त-पस्त बदमस्त जीवन था और राग-रंग।