Vijayrajmallika
विजयराजमल्लिका
मलयालम भाषा की पहली ट्रांसजेंडर कवयित्री। 1985 को केरल के त्रिचुर ज़िला में जन्म । कालीकट विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त की। तत्पश्चात् राजगिरि कॉलेज से एम.एस.डब्ल्यू. में स्नातकोत्तर उपाधि हासिल की।
दैवात्तिन्टे मकल (देवता की बेटी) पहला कविता-संकलन 2018 में प्रकाशित । युवाकला साहिती से पुरस्कृत इस कृति की कविताएँ मद्रास विश्वविद्यालय के मलयालम साहित्य के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में शामिल की गयी हैं। नर नदी, स्त्री बन जाने वाली की कविताएँ, लिलित की मृत्यु नहीं होती, मैं कोई दूसरी लड़की नहीं हूँ आदि अन्य कविता-संकलन हैं। उनकी आत्मकथा है मल्लिका वसन्तम जो काफ़ी चर्चित हुई है।
साहित्य के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें केरल सरकार की तरफ़ से अवार्ड प्राप्त हो चुका है। 'अरली सम्मान', 'मत्ताई मान्जूरान साहित्य रत्नम पुरस्कार' आदि पुरस्कारों से भी वे नवाज़ी गयी हैं। सम्प्रति केरल साहित्य अकादमी की सामान्य परिषद् सदस्य और एस.सी.आर.टी. की संचालन समिति सदस्य हैं। भारत सरकार से मान्यता प्राप्त म्यूज़िक एंड आर्ट्स यूनिवर्सिटी द्वारा उन्हें आनरेरी डॉक्टरेट की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है।