Rasul Gamzhatov
रसूल हमज़ातोव
मॉस्को के साहित्य-संस्थान में रसूल हमजातोव के प्रवेश को उनके सृजनात्मक जीवन का नव युगारम्भ मानना चाहिए। वहाँ उन्हें न केवल मॉस्को के प्रमुखतम कवि अध्यापकों के रूप में मिले, बल्कि मित्र, कला-पथ के संगी-साथी भी प्राप्त हुए। इसी संस्थान में उन्होंने अपने पहले अनुवादक पाये या शायद यह कहना अधिक सही होगा कि अनुवादकों ने उन्हें पा लिया। यहीं उनकी अवार कविताएँ रूसी काव्य में भी एक तथ्य बनीं।तब से अब तक मख़चकला में मातृभाषा में और मॉस्को में रूसी में उनके लगभग चालीस कविता संग्रह निकल चुके हैं। अब बहुत दूर-दूर तक उनका नाम रोशन हो चुका है, वे लेनिन पुरस्कार और दाग़िस्तान के जन-कवि की उपाधि से सम्मानित हो चुके हैं और दुनिया की अनेक भाषाओं में उनकी कविताएँ अनूदित हो चुकी हैं।अब रसूल हमज़ातोव ने पहली गद्य-पुस्तक लिखी है। पहले से यह माना जा सकता था कि इस क्षेत्र में भी रसूल की प्रतिभा अपनी मौलिकता लिए हुए ही सामने आयेगी और उनका गद्य सामान्य उपन्यास या लघु-उपन्यास जैसा नहीं होगा। वास्तव में ऐसा ही हुआ। फिर भी इस गद्य की विशिष्टताओं का कुछ स्पष्टीकरण ज़रूरी है।