Subhash Mukhopadhyay
सुभाष मुखोपाध्याय (1919-2003)
सुभाष मुखोपाध्याय का जन्म बंगाल के नदिया स्थित कृष्णनगर जिले के उस क़स्बे में हुआ, जहाँ के विश्वप्रसिद्ध मूर्तिकार माटी की मूरत में प्राण फूंक देते हैं। सुभाष दा का आरम्भिक जीवन अपने परिवार के साथ अविभक्त बंगाल के कई स्थानों में बीता। सन् 1941 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से स्नातक उपाधि प्राप्त कर वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के कार्यकर्ता और एंटी-फ़ासिस्ट राइटर्स एंड आर्टिस्ट एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य हो गये। वर्ष 1940 में प्रकाशित काव्य संकलन पदातिक उनके काव्य जीवन का महत्त्वपूर्ण प्रस्थान-विन्दु बना, जिसने बुद्धदेव वसु सहित कई आलोचकों का ध्यान आकृष्ट किया।कविता, उपन्यास, यात्रावृत्त, अनुवाद आदि अनेक विधाओं में 50 से अधिक कृतियों के प्रणेता मुखोपाध्याय में कारयित्री प्रतिभा और सामाजिक सम्प्रेषण का मंजुल सामंजस्य है। आधी शताब्दी से अधिक समय तक व्याप्त उनका काव्यमय जीवन प्रचुर एवं प्रगाढ़ सृजनात्मकता से सम्पन्न रहा। उनकी कविता में मानवता की अविचल दृष्टि से परिपुष्ट भावुक हृदय का भव्य परिचय मिलता है।