Prema Jha
प्रेमा झा का जन्म 21 नवम्बर को मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ ।
विशेषज्ञता / शिक्षा : एमबीए एवं पीजीपीवीएम ( मीडिया एंड एचआर)।
प्रकाशन : पहला काव्य-संग्रह हरे पत्ते पर बैठी चिड़ियाँ वर्ष 2009 में प्रकाशित । चर्चित रचनाओं में 'लव जेहाद', 'ककनूस', 'वन्द दरवाज़ा', 'हवा महल' और 'एक थी सारा' विशेष तौर पर पाठकों द्वारा पसन्द की गयीं ।
‘हँस' में छपी कहानी ‘मिस लैला झूठ में क्यों जीती हैं?' खासा चर्चा में रही है।
फ़िलवक़्त अपने एक उपन्यास को लेकर शोधरत हैं।
इनकी रचनाओं का योगदान कुछ मुख्य पत्रिकाओं जैसे- 'समकालीन भारतीय साहित्य', 'नया ज्ञानोदय', 'परिकथा', 'पाखी', 'हँस', 'हमारा भारत', 'बया', 'जनपथ', 'वागर्थ', 'संवदिया', 'विंदिया', 'प्रगतिशील आकल्प', 'आरोह-अवरोह’, ‘गर्भनाल’, ‘लोक-प्रसंग', 'कालजयी', 'माटी', 'युद्धरत आम आदमी', 'मुक्त विचारधारा’, ‘दैनिक हिन्दुस्तान', 'दिल्ली की सेल्फ़ी' आदि में रहा है।
कई ब्लॉग के लिए लिख चुकी हैं और ऑनलाइन माध्यमों पर विशेष रूप से सक्रिय हैं!
वर्तमान में कार्यभार : हेड ऑफ़ कंटेंट, बॉडी बाइ कैटजेन (डॉ. जे. टिमोथी कैटजेन के साथ कैलिफ़ोर्निया, यूएसए में कर्यरत) ।