Joseph Skoversky

जोसेफ़ श्कवोरस्की : सन् 1924 में चेकोस्लोवाकिया में जन्मे लेखक जोसेफ़ श्कवोरस्की के जीवन का अधिकांश भाग निर्वासन में कैनेडा में बीता है। द्वितीय युद्ध में श्कवोरस्की को जर्मन वायुसेना की फैक्टरी में दो वर्ष तक दास मजदूर बनकर रहना पड़ा। सन् पचास के दशक में चार्ल्स युनिवर्सिटी, प्राग में चिकित्सा की पढ़ाई बीच में छोड़ कर उन्होंने अंग्रेज़ी साहित्य का अध्ययन किया और यहीं से दर्शन शास्त्र में डॉक्ट्रेट की उपाधि ली। इसी दशक में उन्होंने चेकोस्लोवाकिया सेना में अनिवार्य नौकरी के दो वर्ष बिताये। श्कवोरस्की एवं उनकी अभिनेत्री पत्नी लम्बे समय तक कम्युनिस्ट चेकोस्लोवाकिया में असहमत लेखकों में सक्रिय रहे, जब तक कि सन् 1968 की प्राग वसंत में सोवियत सेना ने चेकोस्लोवाकिया पर आक्रमण नहीं कर दिया। यही वह समय था, जब श्कवोरस्की ने अपनी पत्नी के साथ कैनेडा में शरण ली। निर्वासन में सन् 1971 में श्कवोरस्की दंपती ने 68 पब्लिशर्स नामक प्रकाशन गृह आरम्भ किया, जहाँ से कालान्तर में प्रमुख चेक असहमत लेखकों-वास्लाव हावेल और मिलान कुन्देरा आदि की प्रकाशित रचनाओं से शेष दुनिया को चेकोस्लोवाकिया के अन्दरूनी हालात का पता चला। श्कवोरस्की ने अपने कथानकों में चेक जाति की ख्यात हँसोड़प्रियता का बखूबी इस्तेमाल किया है, हालांकि जो विषय वे उठाते हैं, वे बहुत गम्भीर और अंधेरे रहे हैं। उनके कई उपन्यासों पर फ़िल्मे बनी है और टोरण्टो युनिवर्सिटी में वह अंग्रेज़ी साहित्य व फ़िल्म के प्रोफेसर रहे हैं। एक कनाडाई लेखक के रूप में ख्यात नाम होने के बावजूद अभी भी श्कवोरस्की पहले चेक में लिखते-छपते हैं।