Vijay Dev Narain Sahi

विजय देव नारायण साही - 7 अक्टूबर, 1924 को वाराणसी में जनमे विजय देव नारायण साही (अपने मित्रों के लिए विजया) के व्यक्तित्व में एक प्रकाण्ड अध्यापक, प्रौढ़ कवि, विद्वान समालोचक, प्रखर लेखक, मेधावी चिन्तक और जुझारू राजनीतिज्ञ का अद्भुत सम्मिश्रण था। यदि एक ओर वह बुनकरों और श्रमजीवियों को उनके अधिकार दिलाने के लिए हाई कोर्ट व सुप्रीम कोर्ट तक स्वयं लड़ाई करते थे तो दूसरी ओर साहित्य और संस्कृति के नये प्रतिमानों की खोज में निरन्तर लगे रहते थे। तीन वर्ष काशी विद्यापीठ और 31 वर्ष प्रयाग विश्वविद्यालय में अध्यापक रहे। 5 नवम्बर, 1982 को प्रयाग में निधन। उनके व्यक्तित्व और कविता को भी उनकी इन पंक्तियों से ही समझा जा सकता है—'इस दहाड़ते आतंक के बीच फटकार कर सच बोल सकूँ और इसकी चिन्ता न हो/ कि इस बहुमुखी युद्ध में मेरे/ सच का इस्तेमाल/ कौन अपने पक्ष में करेगा।

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