Munishri Ajitsagar
मुनि श्री अजितसागरजी -
पूर्व नाम : श्री विनोद कुमार जी।
पिता : श्री कोमलचन्द जैन, माता : श्रीमती ताराबाई जी।
जन्म : 17 अप्रैल, 1968 सिमरिया, गढाकोटा, ज़िला सागर (म.प्र.)
क्षुल्लक दीक्षा : 20 अप्रैल, 1996, अक्षय तृतीया सिद्धक्षेत्र तारंगाजी, ज़िला : मेहसाणा (गुजरात)।
ऐलक दीक्षा : 8 जनवरी, 1998, सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर, ज़िला : देवास (म.प्र.)।
(नोट: क्षुल्लक एवं ऐलक अवस्था का नाम प्रज्ञासागर महाराज था।)
मुनि दीक्षा : 22 अप्रैल, 1999; वैशाख शु. 7 सिद्धोदय सिद्धक्षेत्र नेमावर, ज़िला : देवास (म.प्र.)।
दीक्षा गुरु : आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज सृजन महाश्रमण, तीर्थंकरस्तव, साधना पथ का पाथेय, सल्लेखना समत्व की साधना, पर्युष वाणी, अहिंसा सूत्र, वीरदेशना, सामायिक पाठ, विद्यावाणी, ज्ञानोदय सार, आचार्य श्री विद्यासागर की चेतन कृति (संघ परिचय संकलन पुस्तिका)।
आचार्य श्री विद्यासागरजी महाराज -
पूर्व नाम : श्री विद्याधर अष्टगे।
जन्म : 10 अक्टूबर, 1946 (शरद् पूर्णिमा),
ज़िला : बेलगाँव (कर्नाटक)।
मुनि दीक्षा : 30 जून, 1968; आषाढ़ शुक्ल पंचमी, अजमेर (राजस्थान)।
दीक्षा गुरु : आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज।
आचार्य पद : 22 नवम्बर, 1972; मार्गशीष कृष्णा 2, नसीराबाद, अजमेर (राजस्थान)।
कृतित्व : नर्मदा का नरम कंकर, तोता क्यों रोता, चेतना के गहराव में, मूकमाटी (महाकाव्य), डूबो मत डुबकी लगाओ (काव्य संग्रह), सात संस्कृत शतक, आठ हिन्दी शतकों के अतिरिक्त अनेक जैन ग्रन्थों का पद्यानुवाद तथा हिन्दी, अंग्रेज़ी, कन्नड़, बांग्ला आदि में स्फुट रचनाएँ भी।