Zahida Hina

विभाजन से कुछ ही पहले बिहार के ज़िला सासाराम में जन्मी उर्दू की अति चर्चित संघर्षशील साहसी लेखिका ज़ाहिदा हिना का पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से कराची में हुई। माता-पिता के पाकिस्तान हिजरत कर जाने के कारण कराची उनका स्थायी निवास बना ।

अपनी तरह के अकेले शायर जान एलिया से उनका विवाह हुआ। जो उनके लिए दुःस्वप्न साबित हुआ । यों तो वह मूलतः कथाकार हैं, उनके अब तक दो कथा संग्रह पाकिस्तान व भारत में प्रकाशित हो चुके हैं। एक उपन्यास 'न जुनूँ रही, न परी रही' हिन्दी में भी प्रकाशित हुआ है। उन्होंने पहली कहानी 9 वर्ष की आयु में लिखी। पाकिस्तान व भारत की अनेक भाषाओं में उनकी कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं। उन्हें यह सम्मान भी प्राप्त है कि उनकी एक कहानी का अंग्रेज़ी अनुवाद फैज़ अहमद फ़ैज़ ने किया।

बी.बी.सी. की उर्दू सर्विस से सम्बद्ध रहने के साथ ही उन्होंने रेडियो पाकिस्तान तथा वायस ऑफ अमेरिका के लिए भी काम किया। पाकिस्तान टी.वी. से उनके अनेक धारावाहिक प्रसारित हो चुके हैं।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा सन् 2001 में उन्हें सार्क पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

प्रगतिशील लेखक संघ के स्वर्ण जयंती समारोह (लखनऊ, अप्रैल, 1986), सज्जाद ज़हीर जन्म शताब्दी समारोह (इलाहाबाद, नवम्बर, 2005) तथा इप्टा के 75वीं वर्षगाँठ समारोह (लखनऊ, नवम्बर, 2006) में उनकी उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही ।