Gurdayal Singh

गुरदयाल सिंह - (पंजाबी के वरिष्ठ साहित्यकार) - जन्म: 10 जनवरी, 1933 को पंजाब के जैतो क़स्बे में एक साधारण दस्तकार परिवार में। असाधारण परिस्थितियों से जूझते हुए शैक्षणिक कार्य पूरा किया। 1971 से 1987 तक बरजिन्द्रा कॉलेज, फ़रीदकोट में प्राध्यापक। और फिर पंजाबी यूनिवर्सिटी क्षेत्रीय केन्द्र बठिण्डा में प्रोफ़ेसर पद पर अध्यापन। पहली कहानी 1957 में प्रो. मोहनसिंह द्वारा सम्पादित 'पंज दरिया' में प्रकाशित। अब तक 9 उपन्यास, 10 कहानी संग्रह, 1 नाटक, 1 एकांकी संग्रह, बच्चों के लिए 10 किताबें, विविध गद्य की 2 पुस्तकें तथा दर्जनों लेखादि प्रकाशित। आधा दर्जन पुस्तकों का सम्पादन कार्य भी। उपन्यासों में 'मढ़ी का दीवा' (1966), 'घर और रास्ता' (1968), 'अध-चाँदनी रात' (1988), 'पाँचवाँ पहर' (1988), 'सब देस पराया' (1995), 'साँझ-सवेर' (1999), 'रेत की इक्क मुट्ठी' (2000), हिन्दी अनुवाद के रूप में प्रकाशित कुछ कृतियाँ देश एवं विदेश की कई भाषाओं में अनूदित। भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार 1999 के अतिरिक्त पद्मश्री 1998; साहित्य आकादेमी पुरस्कार 1975; सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार 1986, पंजाब साहित्य अकादेमी पुरस्कार 1989; शिरोमणि साहित्यकार पुरस्कार 1992 आदि से सम्मानित। साहित्यकार के तौर पर कनाडा, ब्रिटेन तथा पूर्व सोवियत संघ का भ्रमण।

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