Parmanand Shrivastava

परमानन्द श्रीवास्तव - जन्म: 10 फ़रवरी, 1935, गोरखपुर (उ.प्र.) में। वर्ष 1995 में गोरखपुर विश्वविद्यालय (प्रेमचन्द्र पीठ) के प्रोफ़ेसर पद से अवकाश। यू.जी.सी. द्वारा एमेरिटस प्रोफ़ेसर मनोनीत। वर्ष 1982 से 92 तक साहित्य अकादेमी की साधारण सभा के सदस्य रहे। आलोचना (त्रैमासिक, नयी दिल्ली) का लम्बे समय तक सम्पादन। 1988-89 में बर्दवान विश्वविद्यालय (प. बंगाल) के हिन्दी विभाग के संस्थापक प्रोफ़ेसर। प्रकाशित कृतियाँ: नयी कविता का परिप्रेक्ष्य, हिन्दी कहानी की रचना-प्रक्रिया, कवि कर्म और काव्यभाषा, उपन्यास का यथार्थ और रचनात्मक भाषा, जैनेन्द्र के उपन्यास, समकालीन कविता का व्याकरण, समकालीन कविता का यथार्थ, शब्द और मनुष्य, उपन्यास का पुनर्जन्म, कविता का अर्थात्, कविता का उत्तर जीवन, दूसरा सौन्दर्यशास्त्र क्यों (आलोचना); अँधेरे कुएँ से आवाज़, सन्नाटे में बारिश, अँधेरे समय में शब्द, उत्तर-समय में साहित्य, अतल का अन्तरीप (निबन्ध); उजली हँसी के छोर पर, अगली शताब्दी के बारे में, चौथा शब्द, एक अनायक का वृत्तान्त, इस बार सपने में तथा अन्य कविताएँ, प्रतिनिधि कविताएँ में (कविता); रुका हुआ समय, नींद में मृत्यु (कहानी); समकालीन हिन्दी कविता, समकालीन हिन्दी आलोचना (सम्पादन), निराला, जायसी (मोनोग्राफ़)। सम्मान: साहित्य भूषण सम्मान (उ.प्र. हिन्दी संस्थान), द्विजदेव सम्मान (विमलादेवी फाउंडेशन), व्यास सम्मान (के. के. बिड़ला फाउंडेशन), भारत भारती सम्मान (उ.प्र. हिन्दी संस्थान)।

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