C.K. Nagaraja Rao Translated by Pandit P.Vanktachal Sharma

सी.के. नागराज राव - कर्नाटक के चित्रदुर्ग ज़िले के चल्लकेरे ग्राम में 12 जून, 1915 में जनमे श्री नागराज राव को वृत्ति से इंजीनियर होना था किन्तु कन्नड़ साहित्य एवं इतिहास के अध्ययन-मनन ने उनके जीवन की जैसे दिशा ही बदल दी। आज उनकी ख्याति कन्नड़ के श्रेष्ठ साहित्यकारों में होती है। एक मँजे हुए मंच-अभिनेता और निर्देशक के साथ-साथ वे कन्नड़ चलचित्र जगत के सफल पटकथाकार भी रहे हैं। आदर्श फ़िल्म इन्स्टीट्यूट, बैंगलोर के उप प्रधानाचार्य (1973-77), कन्नड़ साहित्य परिषद् के पूर्व कोषाध्यक्ष एवं मानद सचिव, मिथिक सोसायटी की कार्यसमिति के सदस्य और असहयोग आन्दोलन में गाँधीजी के साथ सक्रिय भूमिका आदि जीवन के बहुमुखी आयामों के कारण कर्नाटक की धरती पर पर्याप्त लोकप्रिय रहे हैं। कर्नाटक राज्य साहित्य अकादमी ने उन्हें दो बार सम्मानित किया और फिर भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा 'मूर्तिदेवी पुरस्कार' से सम्मानित हुए। लेखन कार्य: 'पट्टमहादेवी शान्तलादेवी', 'नंबिद जीव' (उपन्यास); 'काडु मल्लिगे', 'संगम', 'दृष्टिमन्थन' (कहानी-संग्रह); 'हरिश्चन्द्र', 'शूद्रमुनि', 'एकलव्य', 'अमितमति', 'कुरंगनयनी', 'अक्क महादेवी', 'कांडेक्ट मैडल', 'संकोले बसव', 'सम्पन्न समाज', 'रमा', 'छाया', 'हेमवती' (मौलिक एवं अनूदित नाटक); 'लक्ष्मीश का काल और स्थान' (समीक्षा)। बांग्ला के शरच्चन्द्र चट्टोपाध्याय, अंग्रेज़ी के ऐलन पैटन और रूस के दॉस्तोवॉस्की आदि ख्याति प्राप्त साहित्यकारों की अनेक कृतियों का कन्नड़ में अनुवाद। 10 अप्रैल, 1998 को बैंगलौर में देहावसान।

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