Shachin Sengupta Tnanslated By Nemichandra jain
अनुवादक - नेमिचन्द्र जैन (1919-2005)।
कवि, समालोचक, नाट्य-चिन्तक, सम्पादक, अनुवादक व शिक्षक।
शिक्षा: एम.ए. (अंग्रेज़ी)।
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक (1959-76), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कला-अनुशीलन केन्द्र के फ़ेलो एवं प्रभारी (1976-82), 'नटरंग' पत्रिका के संस्थापक सम्पादक एवं नटरंग प्रतिष्ठान के संस्थापक अध्यक्ष रहे।
प्रकाशन: कविताएँ—तार सप्तक में कविताएँ: (1944), एकान्त (1973), अचानक हम फिर (1999)। आलोचना—अधूरे साक्षात्कार (1966), रंगदर्शन (1967), बदलते परिप्रेक्ष्य (1968), जनान्तिक (1981), पाया पत्र तुम्हारा (1984), भारतीय नाट्य परम्परा (1989), दृश्य-अदृश्य (1993), रंग परम्परा (1996), रंगकर्म की भाषा (1996), तीसरा पाठ (1998), मेरे साक्षात्कार (1998), इंडियन थिएटर (1992), ऐसाइड्स : थीम्स इन कंटेम्पोररी इंडियन थियेटर (2003), फ्रॉम द विंग्स : नोट्स ऑन इंडियन थिएटर (2007)।
अनेक महत्त्वपूर्ण कृतियों का अनुवाद/सम्पादन—जैसे—नील दर्पण (अनुवाद), मुक्तिबोध रचनावली (सम्पादन), मोहन राकेश के सम्पूर्ण नाटक (सम्पादन), दशचक्र (अनुवाद) आदि।
सम्मान/पुरस्कार: दिल्ली सरकार द्वारा शलाका सम्मान (2005), पद्मश्री सम्मान (2003), एमेरिट्स फ़ेलो (1999), संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार (1999), साहित्य भूषण सम्मान (उ.प्र. हिन्दी संस्थान, 1993), साहित्य कला परिषद दिल्ली (1981) आदि।
लेखक - बिजन भट्टाचार्य -
तत्कालीन बंगाल और अब बांगला देश, के फरीदपुर ज़िले के खानखोनापुर में 1915 में जन्म। उच्च शिक्षा कोलकाता में। 1938-39 में आनन्द बाज़ार पत्रिका से सम्बद्ध। पहली कहानी 1940 में प्रकाशित। 1942-43 में साम्यवादी दल के सदस्य बने। इप्टा द्वारा उनकी रचना 'ज़बानबन्दी' तथा अक्टूबर 1944 में उनके विख्यात नाटक 'नवान्न' की प्रस्तुतियाँ।
1944 में महाश्वेता देवी से विवाह और 1948 में उनके नवारुण का जन्म। उसी वर्ष इप्टा से सम्बन्ध विच्छेद। 1950-51 में 'कोलकाता थिएटर' की स्थापना। रंगमंच के साथ-साथ फ़िल्मों में काम एवं 1965 में 'सुवर्णरेखा' फ़िल्म में बड़ी भूमिका का निर्वाह। 1970 में 'कवच कुंडल' नामक नाट्य मण्डली की स्थापना। लगभग पच्चीस एकांकी और नाटकों की रचना। नाटककार के साथ-साथ स्वयं कुशल अभिनेता और निर्देशक भी।
1978 में निधन।