Bhisham Sahni
भीष्म साहनी -
भीष्म साहनी (1915-2003) का जन्म रावलपिंडी में हुआ। घर में हिन्दी और संस्कृत की प्रारम्भिक शिक्षा और स्कूल में उर्दू और अंग्रेज़ी में शिक्षा प्राप्त कर, लाहौर के गर्वनमेंट कालेज से अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. किया। पीएच.डी. की उपाधि बाद में पंजाब विश्वविद्यालय से ली। विभाजन के बाद पूरे परिवार को दिल्ली आना पड़ा। कुछ समय पत्रकारिता और बम्बई में इस्टा नाटक मण्डली में काम किया। फिर अम्बाला और अमृतसर में कुछ समय पढ़ाने के बाद दिल्ली के ज़ाकिर हुसैन कॉलेज में 1980 तक स्थायी रूप से अध्यापन किया। इस बीच 1957 से 1963 तक मॉस्को में टॉलस्टाय की कृतियों सहित अन्य 25 रूसी पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद किया। 1965 से 1967 तक 'नई कहानियाँ' का सम्पादन किया। प्रगतिशील लेखक संघ तथा एफ्रो-एशियाई लेखक संघ से सक्रिय रूप से सम्बद्ध रहे। 1953 में प्रकाशित पहले कहानी संग्रह भाग्य रेखा से 2003 में प्रकाशित आत्मकथा आज के अतीत तक के सृजनात्मक सफ़र में उनके सात उपन्यास, दस कहानी संग्रह और छः नाटक प्रकाशित हुए और अंग्रेज़ी में उन्होंने अपने भाई बलराज साहनी की जीवनी लिखी।
भीष्म साहनी की कृतियों का अनेक भारतीय एवं विदेशी भाषायों में अनुवाद हुआ है जिनमें प्रमुख हैं अंग्रेज़ी, जर्मन, रूसी, जापानी, फ्रेंच और कोरियन। अपने उपन्यासों तमस और मैय्यादास की माड़ी तथा कुछ कहानियों का उन्होंने स्वयं अंग्रेज़ी में अनुवाद किया। हिन्दी के प्रमुख साहित्यकारों—प्रेमचन्द, अज्ञेय, यशपाल, विष्णु प्रभाकर, निर्मल वर्मा, राम कुमार, कमलेश्वर, मनोहरश्याम जोशी आदि की कहानियों का भी अंग्रेज़ी में अनुवाद किया।
अपने कॉलेज के समय से ही अभिनय और निर्देशन में सक्रिय रहने वाले भीष्म साहनी ने अपने उपन्यास 'तमस' पर बनी गोविन्द निहलानी द्वारा निर्देशित फ़िल्म में हरनाम सिंह की प्रमुख भूमिका निभाई। अपने उपन्यास बसन्ती पर बने टी.वी. सीरियल के लिए और कुमार शहानी की फ़िल्म 'क़स्बा' के लिए स्क्रीन प्ले लिखे।
उन्हें मिले अनेक सम्मानों में प्रमुख हैं: तमस के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार (1976), एफ्रो एशियाई संघ का लोटस पुरस्कार (1980), सोवियत नेहरू पुरस्कार (1983), शिरोमणी लेखक पुरस्कार (पंजाब), शलाका सम्मान (हिन्दी अकादमी दिल्ली, 1999), सर सैय्यद राष्ट्रीय पुरस्कार (2002), संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार (2001) और 1998 में पद्म भूषण।
अनुवादक - पंकज के. सिंह -
पंकज के. सिंह अंग्रेज़ी की प्रोफ़ेसर है जो हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी विभाग की अध्यक्ष, भाषा संकाय की अधिष्ठाता एवं ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड अध्ययन केन्द्र की निदेशक रह चुकी हैं। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में (1993-1995) फ़ेलो रही हैं और शास्त्री इंडो-कैनेडियन फ़ेलोशिप (1995-96, 2005) तथा ऑस्ट्रेलिया इंडिया काउंसिल फ़ेलोशिप (2003) के अन्तर्गत कैनेडा और ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विज़िटिंग फ़ेलो रह चुकी हैं।
स्त्रीविमर्श, समकालीन नाटक और उत्तर उपनिवेशवाद के साहित्य पर उनके लेख राष्ट्रीय एवं अन्तराष्ट्रीय शोध-पत्रिकाओं में पिछले चार दशक से छप रहे हैं। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में प्रमुख हैं: रिप्रज़ेन्टिंग वुमेन ट्रेडीशन, लैजेंड एंड पंजाबी ड्रामा तथा द पॉलिटिक्स ऑफ़ लिट्ररी थ्योरी एंड रिप्रजेन्टेशन (सम्पादित)। 2008 से प्रकाशित इंडियन जरनल ऑफ़ ऑस्ट्रेलियन स्टडीज़ की संस्थापक सम्पादक हैं। भीष्म साहनी, बलवन्त गार्गी, आत्मजीत और रश्मि बजाज़ आदि की रचनाओं का हिन्दी और पंजाबी से अंग्रेज़ी में अनुवाद किया है। उन्हें मिले सम्मानों में प्रमुख हैं, ऑस्ट्रेलिया-इंडिया काउंसिल स्पैशल अवार्ड (2008) और उमंग सम्मान।