Ajit Kumar
अजितकुमार -
जन्म: 1931।
साहित्यिक परिवेश में पले-बढ़े अजितकुमार का सौभाग्य था कि वे अपने समय के प्रमुख लेखकों के निकट सम्पर्क में आ सके। बच्चनजी प्रयाग विश्वविद्यालय में उनके गुरु (1948-50) थे; फिर विदेश मन्त्रालय में उनके अफ़सर (1956-62) भी हुए। यह जानकर कि बच्चनजी आत्मकथा के लिए उचित रूपाकार की तलाश में हैं, अजित उनसे अपनी दैनिक बातचीत के नोट्स लेने लगे थे। ये नोट्स कवि की प्रसिद्ध चारखण्डीय आत्मकथा 'क्यानीबद' (1969-87) प्रकाशित होने के वर्षों बाद अंकन की शक्ल में 'कविवर बच्चन के साथ' (भारतीय ज्ञानपीठ, 2009) नाम से छपे थे। अब प्रस्तुत हैं उसके पूरक अंकन 'गुरुवर बच्चन से दूर' (2017) जिनमें गुरु-शिष्य के परवर्ती सम्पर्क-संवाद की मनोरम झलक है।