Pannalal Patel

पन्नालाल पटेल 

गुजरात-राजस्थान सीमा पर स्थित माडली गाँव में 7 मई, 1912 को जनमे पन्नालाल पटेल का प्रारम्भिक जीवन काफ़ी अस्त-व्यस्त रहा। विधिवत् शिक्षा केवल आठवीं तक हुई। स्कूल छोड़ने के बाद कुछ वर्षों तक साधु की संगति में गाँव-गाँव भटकते हुए जीवन के भरपूर खट्टे-मीठे अनुभव प्राप्त किये। अपने सहपाठी उमाशंकर जोशी से आकस्मिक भेंट और उनकी प्रेरणा से लेखन में प्रवृत्त हुए। पन्नालाल पटेल के साहित्यिक जीवन का प्रारम्भ कविताओं से हुआ। शीघ्र ही 1936 में प्रकाशित होते ही बहुत चर्चित हुई। तब से गुजराती में उनके 28 कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी के अतिरिक्त उन्हें उपन्यास लेखन में अद्भुत सफलता मिली। उन्होंने लगभग 30 उपन्यास लिखे। इसमें 'मलेला जीव' (1941) और 'मानवीनी भवाई' (1947) गुजराती साहित्य की सर्वाधिक उल्लेखनीय कृतियाँ मानी जाती हैं। श्री पटेल ने 2 नाटक, आत्मकथा और बाल साहित्य की कई रचनाओं से भी गुजराती साहित्य की कई रचनाओं से भी गुजराती साहित्य को समृद्ध किया है। ज्ञानपीठ पुरस्कार (1985) से सम्मानित श्री पन्नालाल पटेल का 6 अप्रैल, 1989 को देहावसान हो गया।

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