Sheela Gujral
शीला गुजराल -
हिन्दी, पंजाबी और अंग्रेज़ी में समान रूप से लिखनेवाली प्रतिष्ठित लेखिका एवं कवयित्री।
शिक्षा: अर्थशास्त्र की प्राध्यापिका के रूप में कार्यक्षेत्र में पदार्पण, लेकिन तुरन्त ही सामाजिक कार्य और सृजनात्मक लेखन की ओर मुड़ाव। अनेक समाजसेवी संगठनों और शैक्षणिक संस्थाओं से सम्बद्ध। लेखिका संघ की अध्यक्षा (1981-86) के नाते महिला-लेखिकाओं के प्रोत्साहन में सक्रिय भूमिका।
प्रकाशन :
कविता: बर्फ़ के चेहरे, जब मैं न रहूँ, निःश्वास, अनु-नाद, सागर-तट पर, घूँघट के पट, मेरा परिवार, चलता जा, बाल गीत, जागी जनता (हिन्दी); Canvas of Life, Throttled Dove, Signature of Silence, Two Black Cinders (English); संगली, नियारा हिन्दुस्तान, अमरवेल, सुना दे मा (पंजाबी)।
कहानी: तपोवन में बवण्डर (हिन्दी), महक (पंजाबी), कठपुतली नर्स (हिन्दी)।
अन्य खेल-घर (एकांकी-संग्रह), दादा नेहरू (हिन्दी एवं अंग्रेज़ी में जीवनी), हमारा पड़ोसी सोवियत प्रदेश, Asian Republics: USSR.
पुरस्कार सम्मान : 'गोल्डन पोएट अवार्ड' (1989 और 1990), 'निराला पुरस्कार' (1989) और 'महिला शिरोमणि पुरस्कार' (1990) से सम्मानित तथा 1992 में वर्ल्ड एकेडेमी ऑफ़ आर्ट ऐंड कल्चर द्वारा डी. लिट्. की मानद उपाधि से अलंकृत। 'हुह नानसोल्होएन पोएट्री एवार्ड', कोरिया (1997) तथा सोका विश्वविद्यालय, जापान द्वारा कविता में योगदान के लिए सर्वोच्च सम्मान (1997) से पुरस्कृत।