Mahendra Nath Dubey
डॉ. महेन्द्र नाथ दुबे
'राजनीति के कवित्त'-रचना का पाठवैज्ञानिक सम्पादन किया है डॉ. महेन्द्र नाथ दुबे ने। छात्र जीवन में पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के निर्देशन में सम्पादित होनेवाले 'रामचरितमानस' के काशिराज संस्करण की सम्पादन योजना को निकट से निरखने-परखने का अवसर मिलने; फिर पाइअ सद्द महण्णवो (प्राकृत पैंगलम) के सम्पादक डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल के सहयोगी के रूप में सम्पादन कार्य करने, पं. करुणापति त्रिपाठी के निर्देशन में बोली- विज्ञान पर शोध करने डॉ. शिवप्रसाद सिंह द्वारा संपादित 'कीर्तिलता और अवहट्ठ भाषा' के सम्पादन को देखने के अनन्तर पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी एवं बंगला के विश्रुत सम्पादक विद्वान डॉ. वीमान बिहारी मजुमदार और सुकुमार सेन के प्रोत्साहन पर विद्यापति के समस्त गीतों का-'गीत : विद्यापति'-नाम से सम्पादन कर प्रतिष्ठा प्राप्त कर चुके डॉ. दुबे को डॉ. माता प्रसाद गुप्त द्वारा- 'सूरसागर' के सम्पादन के कार्य को नये पाठवैज्ञानिक निकष पर परिष्कृत कर प्रस्तुत करने का कार्य सौंपा गया। इसी क्रम में डॉ. दुबे ने पुराने हस्तलेखों में उपलब्ध पाठों की पाठ-वैज्ञानिक जाँच-परखकर प्रामाणिक पाठ के सम्पादन का गुर सिखानेवाला महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ- साहित्य की प्रामाणिक पहचान और पाठ विज्ञान' रचा; जो पाठवैज्ञानिक समीक्षा का एकमात्र पथ-प्रदर्शक ग्रन्थ है। अपनी पाठवैज्ञानिक दृष्टि से डॉ. दुबे ने जो हिन्दी के मध्यकाल के हस्तलेखों का अवलोकन किया, तो अपने समय से बहुत आगे बढ़े हुए कवि देवीदास की रचनाओं को देख उसे हिन्दी जगत् के समक्ष विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत करना समुचित समझा। यह रचना राजस्थानी और ब्रज की भी उतनी ही अपनी लगती है जितनी परिनिष्ठित हिन्दी की।