Dr. Pramod Kumar Aggrawal
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल -
डॉ. प्रमोद कुमार अग्रवाल ने कविता के अलावा साहित्य की सभी विधाओं को स्पर्श किया है। उनके आंचलिक उपन्यास 'बेतवा की कसम' और 'साबिहगंज की बहू' तथा ऐतिहासिक उपन्यास 'मीरजाफर' और 'काले हीरों का पंचकोट' विशेष रूप से चर्चित हुए हैं। कोलकाता की पृष्ठभूमि पर लिखा उनका उपन्यास 'पृथ्वी की पीड़ा' असंगठित क्षेत्र की महिलाओं के दर्द की कहानी है। यह डॉ. अग्रवाल का बारहवाँ उपन्यास है।
डॉ. अग्रवाल का विषय वैविध्य अद्वितीय है। उन्होंने भूमि सुधार, मानव अधिकार, न्यायतन्त्र, पर्यावरण, प्रदूषण निवारण, पंचायती राज, भारतीय सोच आदि विषयों पर तीस कृतियों का प्रणयन किया है। कर्मयोग पर ‘भगवद्गीता-नाट्यरूप' शीर्षक से गीता पर उनका भाष्य तथा राजधर्म को केन्द्रबिन्दु बनाकर उनके द्वारा लिखित 'चित्रकूट में राम-भरत मिलाप' भारतीय संस्कृति के क्षेत्र में दो महत्त्वपूर्ण पड़ाव हैं।
सम्प्रति डॉ. अग्रवाल पश्चिम बंगाल सरकार में प्रधान सचिव, राजस्व तथा भूमि सुधार आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं।