Chitra Mudgal

2018 के साहित्य अकादेमी सम्मान से सम्मानित चित्रा मुद्गल का जन्म 10 दिसम्बर, 1943 को एगमोर चेन्नई में हुआ। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा जनपद उन्नाव (उ.प्र.) में उनके पैतृक गाँव निहाली खेड़ा से लगे गाँव भरतीपुर के कन्या पाठशाला में हुई। 1962 में हायर सेकेण्डरी पूना बोर्ड से। शेष पढ़ाई मुम्बई विश्वविद्यालय से तथा बहुत बाद में स्नातकोत्तर पत्राचार पाठ्यक्रम से एस.एन.डी.टी. महिला विश्वविद्यालय, मुम्बई से।

चित्रकला में गहरी अभिरुचि के चलते जे.जे. स्कूल ऑफ़ आर्ट्स में फाइन आर्ट्स का अधूरा अध्ययन। सौमैया कॉलेज में पढ़ाई के दौरान, संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिक आन्दोलनों से जुड़ीं। घरों में झाडू-पोंछा कर जीवनयापन करने वाली बाइयों के बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत संस्था की बीस वर्ष की वय में सचिव बनीं।

प्रथम कहानी सफ़ेद सेनारा नवभारत टाइम्स की कहानी प्रतियोगिता में पुरस्कृत होकर 25 अक्तूबर, 1964 में 'रविवारीय' में प्रकाशित हुई। 1980 में पहला कथा-संग्रह ज़हर ठहरा हुआ छपा। अब तक तेरह कहानी संग्रह प्रकाशित। दुलहिन, जिनावर, अपनी वापसी, लक्षागृह, इस हमाम में, जगदम्बा बाबू गाँव आ रहे हैं, लपटें विशेष चर्चित हुए। उन्होंने लगभग सौ कहानियाँ लिखी हैं।

1990 में उनके पहले उपन्यास एक ज़मीन अपनी को विज्ञापन जगत पर लिखा गया प्रथम उपन्यास मानकर सराहा गया। 2003 में दूसरे उपन्यास आवाँ के लिए के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन के तेरहवें व्यास सम्मान से समादृत।

आवाँ मराठी, पंजाबी, असमियाँ, कन्नड़, बांग्ला में अनूदित, तेलगू, उर्दू, अंग्रेज़ी में अनुवाद जारी। तीसरा उपन्यास 'गलिगडु उर्दू, पंजाबी, मलयालम में अनूदित। इसके अलावा बयार उनकी मुट्ठी में और विचार (कॉलम), तहख़ानों में बन्द अक्स (कथात्मक रिपोर्ताज़), बयान (लघुकथाएँ), माधवी कन्नगी, मणि मेखलै, जीवन (तीन बाल उपन्यास), पेड़ पर खरगोश, जंगल का राज, नीति कथाएँ, सूझबूझ, कटोरी में कटोरा, देश-विदेश की लोककथाएँ आदि कृतियाँ प्रकाशित। अंग्रेज़ी में हाइना एंड अदर स्टोरीज और उपन्यास कूसेड (एक ज़मीन अपनी का अनुवाद) प्रशंसित। कहानियाँ अनेक विश्व भाषाओं में अनूदित। सहस्राब्दि के पहले अन्तरराष्ट्रीय ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान' (लन्दन) से सम्मानित।

सम्प्रति : स्वतन्त्र लेखन और सामाजिक कार्यों से जुड़ी हुई हैं।

ई-मेल : mail@chitramudgal.info