Rangeya Raghav
रांगेय राघव
17 जनवरी, 1923 को जन्म आगरा में मूल नाम टी. एन. वी. आचार्य (तिरुमल्लै नम्बाकम् वीर राघव आचार्य) । कुल से दाक्षिणात्य लेकिन ढाई शतक से पूर्वज वैर (भरतपुर) के निवासी और वैर, बारोली गाँवों के जागीरदार ।
शिक्षा आगरा में। सेंट जॉन्स कॉलेज से 1944 में स्नातकोत्तर और 1948 में आगरा विश्वविद्यालय से गुरु गोरखनाथ पर पी एच. डी. । हिंदी, अंग्रेजी, बृज और संस्कृत पर असाधारण अधिकार ।
13 वर्ष की आयु में लेखनारम्भ। 23-24 वर्ष की आयु में ही अभूतपूर्व चर्चा के विषय। 1942 में अकालग्रस्त बंगाल की यात्रा के बाद लिखे रिपोर्ताज – 'तूफानों के बीच' से - चर्चित |
साहित्य के अतिरिक्त चित्रकला, संगीत और पुरातत्त्व में विशेष रुचि । साहित्य की प्रायः सभी विधाओं में सिद्धहस्त । मात्र 39 वर्ष की आयु में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक, रिपोर्ताज के अतिरिक्त आलोचना, सभ्यता और संस्कृति पर शोध व व्याख्या के क्षेत्रों को 150 से भी अधिक पुस्तकों से समृद्ध किया । अपनी अद्भुत प्रतिभा, असाधारण ज्ञान और लेखन-क्षमता के लिए सर्वमान्य अद्वितीय लेखक । संस्कृत रचनाओं का हिन्दी, अंग्रेजी में अनुवाद । विदेशी
साहित्य का हिन्दी में अनुवाद | 7 मई, 1956 को सुलोचनाजी से विवाह । 8 फरवरी, 1960 को पुत्री सीमन्तिनी का जन्म। अधिकांश जीवन आगरा,
वैर और जयपुर में व्यतीत। आजीवन स्वतन्त्र लेखन ।
हिन्दुस्तानी अकादमी पुरस्कार (1951), डालमिया पुरस्कार (1954), उत्तर प्रदेश सरकार पुरस्कार (1957 व 1959), राजस्थान साहित्य अकादमी पुरस्कार (1961) तथा मरणोपरान्त (1966) महात्मा गांधी पुरस्कार से सम्मानित । विभिन्न कृतियाँ अन्य भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित और प्रशंसित। लम्बी बीमारी के बाद 12 सितम्बर, 1962 को बम्बई में देहान्त ।