Kumar Krishna
कवि तथा आलोचक के रूप में कुमार कृष्ण का नाम हिन्दी पाठकों के लिए सुपरिचित है। इस पुस्तक से पूर्व इनकी आठ कविता - पुस्तकें- 'डरी हुई ज़मीन', 'पहाड़ पर बदलता मौसम', 'खुरों की तकलीफ़', 'घमर', 'पहाड़ पर नदियों के घर', चुनी हुई कविताओं का संग्रह - 'मेरी कविताएँ', गजल संग्रह- 'काठ पर चढ़ा लोहा' तथा सम्पूर्ण कविताओं का संग्रह - 'गाँव का बीजगणित', छह आलोचनात्मक पुस्तकें–‘समकालीन साहित्य : विविध, सन्दर्भ', 'कविता की सार्थकता', हिन्दी कथा-साहित्य : ‘परख और पहचान’, ‘दूसरे प्रजातन्त्र की तलाश में धूमिल', 'कबीर : विविध परिप्रेक्ष्य', 'समकालीन कविता का बीजगणित' प्रकाशित हो चुकी हैं। हिमाचल प्रदेश में रचित कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक-एकांकी तथा आलोचना की पहचान करवाने वाले पहले प्रामाणिक ग्रन्थ 'हिमाचल वाङ्मय' के संयोजन के अतिरिक्त कुमार कृष्ण ने कई पुस्तकों तथा पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया है जिसमें भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की प्रथम पत्रिका 'चेतना', के अतिरिक्त 'हाँक' तथा 'वर्णमाला' जैसी चर्चित पत्रिकाएँ शामिल हैं। कुमार कृष्ण का जन्म हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के गाँव नागड़ी में 30 जून 1951 को एक ब्राह्मण किसान परिवार में हुआ। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में छात्र कल्याण अधिष्ठाता, अधिष्ठाता भाषा संकाय, प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष हिन्दी विभाग जैसे पदों का दायित्व निभाते हुए आजकल आप हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग में आचार्य तथा बौद्ध विद्या केन्द्र के अध्यक्ष हैं। आपका स्थायी पता है- 'सत्यप्रिया', कैथलीघाट, सोलन- 173215 (हिमाचल प्रदेश)।