Padmashri (Dr.) Ravindra Rajhans

पद्मश्री (डॉ.) रवीन्द्र राजहंस का जन्म बिहार के छोटे से गाँव 'भुल्ली' जो सीतामढ़ी में पड़ता है, में 2 मार्च 1939 को हुआ। इन्होंने अंग्रेजी विषय में एम. ए. और पीएच.डी. की और वे अंग्रेज़ी प्रभाग, कॉलेज ऑफ कामर्स, मगध विश्वविद्यालय, पटना से विभागाध्यक्ष होकर सेवानिवृत्त हुए। उनकी रुचि शुरू से ही हिन्दी साहित्य में रही। स्कूल व कॉलेज के दिनों से ही उन्होंने व्यंग्यात्मक कविताएँ लिखनी शुरू कीं और एक प्रखर व्यंग्य हिन्दी कवि के रूप में समाज में अपनी पहचान बनायी। उन्होंने करीबन सभी हिन्दी और अंग्रेजी अख़बारों मैगजीनों के लिए लेख लिखे और उनकी कविताएँ प्रकाशित होती रहीं। भारत सरकार ने डॉ. राजहंस को उनके हिन्दी साहित्य में अनूठे योगदान के लिए पद्मश्री 2009 से नवाज़ा। उनकी भूमिका अपनी व्यंग्यात्मक कविताओं द्वारा स्वर्गीय जयप्रकाश नारायण की क्रान्ति में, एक अलग पहचान रखती है जिसे नुक्कड़ों पर सुनाया जाता था। उनके प्रमुख काव्य संग्रह हैं-अप्रियम ब्रूयात, समर शेष है, नाख़ून बढ़े अक्षर, किस चिड़िया का नाम है बचपन जिसका अंग्रेजी अनुवाद 'सनराइज़ इन स्लम्स' है, हिट-लिस्ट, कहूँगा दो टूक, शेष सब कुशल है इत्यादि।

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter