Gourishankar Raina
गौरीशंकर रैणा
जन्म : 5 फ़रवरी 1954, श्रीनगर (कश्मीर)।
शिक्षा : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएच.डी. । दौयचे वैले बर्लिन तथा एशियन मीडिया कम्यूनिकेशन सेंटर सिंगापुर से टेलीविज़न नाटकों के निर्देशन में प्रशिक्षित। एडवांस डिप्लोमा (मीडिया) के साथ ही फ़िल्म टी. वी. संस्थान पुणे से टेलीविज़न कार्यक्रम निर्देशन में प्रशिक्षित । एन.एफ.डी.सी. की फ़िल्मों के लिए संवाद लेखन तथा रेडियो के लिए कई नाटकों का रूपान्तर ।
टेलीविज़न नाटकों, वृत्तचित्रों तथा लाइव शोज़ का निर्देशन ।
प्रमुख टेलीफ़िल्में तथा नाटक : भीगी धूप, चीफ़ की दावत, शहंशाह इडिपस, अनुभूति, खंडहर, विदाई, बन्धन तथा आख़िरी फ़ैसला ।
वृत्तचित्र ‘ओड टु पीस' के लिए लोक सेवा प्रसारण पुरस्कार। दूरदर्शन के लिए ही निर्देशित एक अन्य फ़िल्म 'द गोल्डन आर्ट' अन्तर्राष्ट्रीय समारोहों में प्रदर्शित । ‘महात्मा-द-ग्रेट सोल' संयुक्त राष्ट्र संघ, न्यूयॉर्क में 2 अक्टूबर 2007 को प्रदर्शित ।
कृतियाँ : एक वही मैं (तीन लघु नाटकों का संकलन), संचार टेक्नोलॉजी (शोधग्रन्थ), यह राजधानी (कहानी संग्रह का अनुवाद), पालने का पूत (बहुचर्चित कश्मीरी नाटक का हिन्दी अनुवाद), अलबेला अलबेली (शेक्सपियर के नाटक का हिन्दी अनुवाद), जब उजाला हुआ (कश्मीरी कहानियों का हिन्दी अनुवाद), रहमान राही की प्रतिनिधि कविताएँ (सम्पादन एवं अनुवाद) कहानियाँ, लेख एवं नाट्य अनुवाद विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित ।
पुरस्कार : मानव संसाधन विकास मन्त्रालय के केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय द्वारा हिन्दीतर भाषी हिन्दी साहित्यकार सम्मान (1990-91 ) । संस्कृति मन्त्रालय द्वारा टेलीविज़न नाटकों के लिए सीनियर फ़ेलोशिप । जम्मू-कश्मीर संस्कृति, कला एवं साहित्य अकादमी द्वारा रंगमंच प्रस्तुतियों के लिए सम्मानित ।