Hiralal Nagar

कहानी, कविता और समीक्षात्मक लेखन में सक्रिय। 'समय चेतना', 'दैनिक भास्कर' और 'अहा! जिन्दगी’ पत्रिका में कार्य।

'जंगल के ख़िलाफ़' (कहानी-संग्रह), 1994 में, 'अधूरी हसरतों का अन्त' (कहानी संग्रह) 2004 में और चर्चित उपन्यास 'डेक पर अँधेरा', 2013 में प्रकाशित। 'कितनी आवाज़ें' (लघुकथा संग्रह) और कमलेश्वर की चुनिन्दा कहानियों के संग्रह का सम्पादन 'सोलह छतों का घर' शीर्षक से।

वर्ष 2002 में कथा लेखन के लिए 'आर्य स्मृति साहित्य सम्मान', और 2005 में 'शैलेश मटियानी कथा सम्मान' से सम्मानित।

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