महाभारत के महिला पात्रों पर काफ़ी कुछ लिखा गया है। कई कथाकारों ने द्रौपदी, कुन्ती, गान्धारी और अम्बा जैसे सशक्त महिला किरदारों को केन्द्र में रखकर उपन्यास लिखे हैं। इन सभी चरित्रों की महाभारत की कथा में अलग-अलग भूमिका है और अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान भी है। इन सभी पात्रों को कहीं न कहीं अन्याय व अत्यन्त कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा है। यहीं से महाभारत की इस अद्भुत महागाथा के एक और महिला पात्र के बारे में विचार आता है। इस पात्र के सम्बन्ध में मूल कथा में व कथा से इतर भी ज्यादा कुछ नहीं लिखा गया, लेकिन इस पात्र की त्रासदी और इसके साथ हुआ अन्याय किसी मायने में कम नहीं है। यहाँ बात की जा रही है महागाथा के कम चर्चित पात्र 'अम्बिका' के बारे में। 'अम्बिका' इस किरदार का महत्त्व केवल धृतराष्ट्र को जन्म देने तक ही सीमित दिखाई देता है। महाभारत की कथा में गहराई तक जाने पर लगता है कि काशीराज की इस कन्या को सर्वाधिक अन्याय का सामना करना पड़ा। स्वयंवर से अपहरण, इच्छा विरुद्ध विचित्रवीर्य से विवाह, विचित्रवीर्य की निर्वार्यता व असमय मृत्यु अनिच्छा के बावजूद नियोग की विवशता और जन्मान्ध व अति महत्वाकांक्षी पुत्र । अम्बिका की कहानी देखी जाये तो दुर्भाग्य ने उसका पीछा कभी नहीं छोड़ा। ये उपन्यास महाभारत की कथा को अम्बिका के दृष्टिकोण से दिखने का प्रयास है।
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