भाषा-विज्ञान आज स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम का एक अनिवार्य अंग है । पर सरल भाषा एवं वैज्ञानिक विश्लेषण युक्त पुस्तकों के अभाव के कारण यह विषय आज भी छात्रों के लिए दुरूह बना हुआ है।
मैंने अपने अध्यापकीय जीवन में इस कमी का अनुभव किया । अत: स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के छात्रों के पाठ्यक्रम के अनुकूल सरल भाषा एवं वैज्ञानिक विश्लेषण युक्त भाषा विज्ञान की विभिन्न शाखाओं के विवेचन का एक संकल्प मेरे मन में उमरा, जिसे मूर्त रूप देने का मैंने अथक प्रयास किया। सहज भाषा के माध्यम से मैंने इस पुस्तक' के विवेच्य विषय को एक तरफ सरस एवं सुबोध बनाने का प्रयास किया है तो दूसरी तरफ उसकी वैज्ञानिकता के प्रति भी सचेत रहा ।
एक बात और ! इस पुस्तक में भाषा विज्ञान की पुरानी शाखाओं प्रशाखाओं के अतिरिक्त उन अत्याधुनिक शाखाओं का भी मैंने विस्तार से विवेचन किया है जिसे अनेक विद्वान् सामान्य परिचय देकर ही टाल गये हैं । आज भाषा विज्ञान के विद्यार्थी के लिए. इनका ज्ञान आवश्यक ही नहीं अनिवार्य भी है । बोली- विज्ञान, सर्वेक्षण पद्धति, भाषा- भूगोल, कोश-विज्ञान एवं शैली विज्ञान आदि भाषा-विज्ञान की ऐसी ही अत्याधुनिक शाखाएँ हैं ।
मैं अपने प्रयास में कितना सफल हुआ इसका आकलन मेरे अपने क्षेत्र का विषय नहीं; वस्तुतः सहृदय पाठक ही इसके अधिकारी हैं। अतः मैं उन्हीं पर इसका निर्णय छोड़: देना श्रेयस्कर समझता हूँ ।
- राजमणि शर्मा
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