Raja Ka Chowk

Namita Singh Author
Hardbound
Hindi
9788170554578
2nd
2021
124
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राजा का चौक -
'राजा का चौक' तथा इस संग्रह की अन्य कहानियाँ साम्प्रदायिकता के विविध जटिल पक्षों और मनोभावों की कहानियाँ हैं। साम्प्रदायिकता का घुन लगातार हमारे समाज को खोखला कर रहा है और लोगों को विवेकहीन बना रहा है।
जातिवाद भी साम्प्रदायिकता का एक रूप है। सदियों से शोषण का शिकार रही दलित जातियों में, विशेष रूप से मध्यवर्ग के बीच इस दौरान उभरता ऊँच-नीच का भाव सवर्ण और छोटी जातियों के बीच के जातिवाद जैसा ही बनता जा रहा है।
'राजा का चौक' कहानी संग्रह का पहला संस्करण 1982 में प्रकाशित हुआ था। तब से आज 1996 तक विश्व पटल में तथा राष्ट्रीय परिदृश्य में स्थितियाँ बहुत बदल गयी हैं। दुनिया का भूगोल और इतिहास बदल गया है। साम्प्रदायिकता का रूप और विस्तार भी बदल और बढ़ गया है लेकिन मूल में स्थित आधारभूत कारण नहीं बदले हैं। इस संग्रह की कहानियाँ जो बेहद चर्चित रहीं, अपने समय का कलात्मक दस्तावेज़ है और आज भी उतनी ही ज़रूरी हैं।

नमिता सिंह (Namita Singh)

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