बॉस की पार्टी - युवा कथाकार संजय कुन्दन का पहला कहानी संग्रह है 'बॉस की पार्टी'। संजय कुन्दन यथार्थ की तीव्रता और वक्रता को पहचान कर अपनी कहानियों के प्रस्थान निर्मित करते हैं। इस प्रक्रिया में समकालीन राजनीति, संस्कृति, विचारधारा, विमर्श और संघर्ष के अनेक संश्लिष्ट-विशिष्ट बिम्ब आकार पाते हैं। संजय राजनीतिक विवेक से लैस रचनाकार हैं, किन्तु उसके शब्दाडम्बर से मुक्त हैं। उत्तर-आधुनिकता के ऊसर-उर्वर समय से मुठभेड़ करते मनुष्य की उठा-पटक विलक्षण व्यंजनाओं के साथ संजय की इन कहानियों में व्यक्त हुई है। संजय कुन्दन की ये सारी कहानियाँ प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में छपकर अपनी मौलिकता महत्ता सिद्ध कर चुकी हैं। 'गाँधी जयन्ती', 'मेरे सपने वापस करो', 'बॉस की पार्टी', 'ऑपरेशन माउस' और 'केएनटी की कार' जैसी रचनाओं ने स्पष्टतः कहानी के 'अन्तःकरण का आयतन' विस्तृत किया है। स्थानीयता व वैश्विकता के द्वन्द्व से उभर रही नयी सामाजिकता को भी ये रचनाएँ रेखांकित करती हैं। क़िस्सागोई को संजय कुन्दन ने नया अर्थ दिया है। जिसे 'ठेठ हिन्दी का ठाठ' कहा जाता है उसे संजय की भाषा सम्पुष्ट करती है। यह भी उल्लेखनीय है कि इन कहानियों का 'औपन्यासिक स्वभाव' पाठकों की चित्तवृत्ति को आस्वाद के लोकतन्त्र में ला खड़ा करता है।—सुशील सिद्धार्थ
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