हवेली सनातनपुर - इन्दिरा दांगी ने अपने उपन्यास 'हवेली सनातनपुर' में कथा फ़ंतासी को ऐसी सर्जनात्मक अभिव्यक्ति प्रदान की है, जो बहुधा युवा लेखकों में एक सिरे से नदारत दिखती है। मगर, कहा यही जाता है कि समकालीन युवा लेखन अपनी अनोखी भाषा, शिल्प और स्वप्न-फ़ंतासी के रचनात्मक द्वन्द्व से ही निकलकर सामने आया है। इन्दिरा दांगी की कहानियाँ पिछले दिनों काफी चर्चित रही हैं, जहाँ उपन्यास हवेली सनातनपुर की बात है तो वह भी अपने कथ्य और शिल्प में बहुत प्रभावशाली है। मनुष्य जीवन के अद्भुत घटनातन्त्र में उलझी हुई इसकी कहानी हालाँकि एक ट्रैज़डी है, मगर उसका यथार्थ मनुष्य-स्वप्नों की कराहती व थरथराती खोह से उपजता है, जो अन्ततः आदमी के मनोकांक्षाओं को पूरा करता हुआ प्रतीत होता है। निश्चित ही यह उपन्यास हिन्दी कथा साहित्य में एक मुकाम हासिल करेगा।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review