टका सेर आज़ादी - झूठ कुछ और नहीं छिपाया हुआ सच है। झूठ के पास सब कुछ होता है, परन्तु उसके पाँव नहीं होते। अफ़साना भी तो आधी हक़ीक़त, आधा फ़साना होता है। मेरी हर कहानी के पीछे, किसी न किसी रूप में सत्य अवश्य ही होता है। इसे आप भोगा हुआ यर्थाथ भी कह सकते हैं। कथाकार केवल मनोरंजन के लिए नहीं लिखते। हर कहानी कुछ न कुछ सन्देश छुपाये है। सन्देश या केन्द्रीय विचार और कहानी उसके इर्द-गिर्द बुनी जाती है, जैसे घड़ी का पेंडुलम और उसका केन्द्र-बिन्दु और वह केन्द्र-बिन्दु है यही है कथाकार का सामाजिक सरोकार, जिसे वे कभी नहीं छोड़ने वाले। इस संग्रह की कहानियाँ हमारे समय की पड़ताल तो है ही साथ ही ऐसे सत्य से भी सामना कराती है जो हमारे आँखों के सामने घटते हुए भी ओझल है। इस संग्रह का स्वागत किया जाना चाहिए। सर्वथा पठनीय और संग्रहणीय संग्रह।
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