मात और मात - नीला प्रसाद का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे पिछले कुछ दशकों से कहानियाँ लिख रही हैं और उन्होंने कथा-साहित्य में अपनी एक जगह बनाई है। प्रस्तुत संग्रह की कहानियाँ 'नया ज्ञानोदय' सहित 'पाखी', 'अकार', 'कथादेश' आदि कई साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं। नीला प्रसाद का कथा-संसार उत्तरोत्तर बड़ा और गहरा होता गया है और उनके अनुभवों में लगातार एक नवीनता बनी रही है। वे अपनी कहानियों में भाषा, विषय और शिल्प के प्रयोग लगातार करती रही हैं। स्त्री जगत के अनुभवों को खोलने के बावजूद वे नारीवाद का झण्डा नहीं उठातीं। वे बहुत चुपचाप अपनी निर्दोष क़लम से समसामयिक यथार्थ के अनुभवों को उनके समस्त आयामों और सच के साथ बड़े सुरुचिपूर्ण ढंग से काग़ज़ पर उतार देती हैं। उम्मीद की जानी चाहिए कि यह संग्रह कथा प्रेमियों को आकर्षित करेगा।
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