इतनी दूर - इतनी दूर में संगृहीत ओड़िया कथाकार तरुणकान्ति मिश्र की कहानियों का सम्बन्ध हमारे अतीत और वर्तमान के बहुत निकट है। जिस कौशल से उन्होंने अपनी कहानियों में कल्पना और यथार्थ का सामंजस्य स्थापित किया है, वह पाठकों को आदि से अन्त तक बाँधे रखता है। छात्र जीवन की खट्टी-मीठी अनुभूतियाँ हों या सामाजिक सम्बन्धों के निर्वाह से जुड़ी समस्याएँ या फिर राजकीय सेवा के दौरान हुए अनुभव—इन कहानियों में टीस, एक आनन्द, एक अन्तर्वेदना का अहसास है। एक उनकी प्रांजल भाषा और विशिष्ट कथा-शैली में पात्रों के साथ-साथ समस्त वातावरण जीवन्त हो उठता है। उनकी कहानियाँ ओड़िया पाठकों और साहित्यकारों में ख़ूब चर्चित हैं। तरुणकान्ति मिश्र की कहानियों के पात्र उनके अति निकट के पात्र हैं। ये पात्र उनके स्मृति-पटल पर आते हैं और अपनी व्यथा-कथा कह जाते हैं। कहानियों में बनावट या बुनावट न होने से वे सीधे पाठकों के हृदय में उतर जाती हैं। हिन्दी में अनूदित तरुणकान्ति मिश्र का यह पहला कहानी-संग्रह है।
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