व्यास विष्णु रूपाय - मनुष्य के प्रेम में वह क्या है जो अप्सरा उर्वशी से अप्सरा की स्वच्छन्दता छुड़वाकर प्रेम की जोगन बना देता है। ये कुछ रहस्य हैं जो इस उपन्यास को उतना ही रोचक बना देते हैं जितना ज्ञानवर्धक। उपन्यास 'व्यास विष्णु रूपाय' महर्षि व्यास के जीवन पर आधारित है। महर्षि व्यास भारतीय परम्परा द्वारा मान्य आठ अमर मनुष्यों में एक हैं। इस विश्वास का यथार्थपरक उपयोग किया है निर्मल कुमार ने। आज भारत जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसके बीच महर्षि व्यास को रखकर। समस्याओं का समाधान महर्षि के कर्मों और विचारों से कराया है। उन्होंने पाठकों तक यह बात पहुँचायी है कि व्यास हमें वर्तमान भारत की समस्याओं को सुलझाने का क्या मार्ग दिखाते। कथा इस अन्धविश्वास से पाठक को मुक्त कराती है कि आधुनिक असत्य, अधर्म और अमृत का कारण कलियुग है। व्यास कहते हैं पतन इस कारण है कि भारतीयों ने सत्य को कर्म बनाने की सरल परम्परा को त्यागकर, मनमानी करने को मानवधर्म मान लिया है। कुछ आधुनिक राजनीतिज्ञ महाभारत के अहंकारी चरित्रों का उन्मक्त अनुसरण कर रहे हैं। व्यास इसे महाभारत का दुरुपयोग बताते हैं। महाभारत को वे द्वापर के भारतीयों के अभिमान वैरभाव और जीवन के विघटन की यथार्थ कथा कहते हैं। व्यास कहते हैं कि महाभारत से शिक्षा यह लेनी चाहिए कि झूठी मान्यताओं और अभिमानों को आत्मयज्ञ से निष्प्रभ करें यह भी सुनिश्चित करें कि भारत में महाभारत दोबारा कभी न हो। व्यास कलियुग में हैं तो उनके आराध्य श्रीकृष्ण भी हैं जीवन का मार्ग प्रशस्त करते हैं। गोपियों के सच्चे प्रेम का मार्मिक वर्णन है।
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