Sigiriya Puran

Hardbound
Hindi
9789357750301
2nd
2023
206
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सीगिरिया पुराण - "प्राचीन सिंहल के बौद्ध पुराण 'महावंश' पर आधारित यह अनूठा उपन्यास हिन्दी कथा साहित्य में एक अछूता व दुर्लभ योगदान है।" —डॉ. उषाकिरण खान पद्मश्री से सम्मानित लेखिका व इतिहासज्ञ पाँचवीं शताब्दी में श्री लंका राजनीतिक गृहकलह व प्रतिशोध का धधकता हुआ जंगल है; त्रि-सिंहल का राजमुकुट तो मानो बच्चों की गेंद हो—जो झपट सके, ले ले। कई महाराज तो कुछ सप्ताह या महीने भी न टिक पाये। किन्तु धातुसेना महाराज पिछले अट्ठारह वर्षों से अनुराधापुर के सिंहासन पर आसीन हैं; फिर वे अपनी बहन को जीवित ही जला कर मृत्युदण्ड देने की भारी भूल कर बैठते हैं। महाराज का भाँजा मिगार उतने ही निर्मम प्रतिशोध की शपथ लेता है। वह अपनी प्रतिज्ञा एक परिचारिका से उत्पन्न, धातुसेना के बड़े बेटे कश्यप को मोहरा बना कर पूरी करता है, और नाम मात्र को उसे राजा बना देता है। मिगार की कठपुतली बनकर कश्यप उसकी धौंस और अपने किये के पछतावे में रात-दिन घुटता रहता है। क्या कश्यप मिगार की चंगुल से कभी छूट पायेगा? धातुसेना का छोटा बेटा, युवराज मोगल्लान, पल्लव महाराज से सैन्य-सहायता माँगने के लिए भारत पलायन कर जाता है। कश्यप को हर घड़ी चिन्ता लगी रहती है: मोगल्लान न जाने कब कोई विशाल सेना लेकर चढ़ आये। कश्यप जानता है अनुराधापुर-वासी उसे पितृहन्ता मानते हैं; मोगल्लान के आते ही उसके साथ उठ खड़े होंगे। अनुराधापुर में रहना निरापद नहीं। कश्यप नयी राजधानी के लिए कोई ऐसी जगह ढूँढ रहा है जहाँ मोगल्लान न पहुँच सके। अन्ततः वह सुरक्षा कवच उसे मिल तो जाता है, किन्तु समय आने पर क्या वह कारगर भी सिद्ध होगा?

प्रियदर्शी ठाकुर 'ख्याल' (Priyadarshi Thakur 'Khayal')

प्रियदर्शी ठाकुर - अगस्त, 1946 में मोतीहारी, बिहार में जनमे 'ख़याल' सिंहवाड़ा (दरभंगा), बिहार के निवासी है। पटना कॉलेज से स्नातक और दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (इतिहास) शिक्षा प्राप्ति के

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