शब्द वे लौटेंगे निश्चय - नयी हिन्दी कविता के प्रसिद्ध कवि श्रीकान्त जोशी के ‘शब्द वे लौटेंगे निश्चय’ संग्रह की कविताओं में मुख्यतः शब्द की विविध भंगिमाओं के चित्र हैं। जोशी जी के ही शब्दों में, शब्द से पूर्व हम संकेत भाषा बोलते थे जो निश्चय ही विश्वभाषा थी, पर जब हम उच्चारण की भाषा पर आ गये तो भाषा में निहित वैश्विकता खो बैठे— विश्व-भाषा के वंशज थे शब्द शब्द वे बिछुड़ गये— भूखण्ड के खण्ड-खण्ड होने से। पर यह विश्व सदा ही खण्डित नहीं रहेगा। क्रमशः इतिहास की शक्तियाँ ही, जिन्होंने इसे खण्डित किया था, इसे अखण्डता भी देंगीं। वह दिन आयेगा जब वे शब्द अवश्य लौटेंगे और विश्वभाषा के शब्द सिद्ध होंगे। संग्रह की कविता कुछेक उपविभागों में विभाजित हैं, जिनसे कवि की व्यापक जीवन-दृष्टि और सूक्ष्म सौन्दर्य बोध का परिचय मिलता है। विश्वास है, यह संग्रह हिन्दी काव्य के सुधी पाठकों को एक विशेष प्रकार की तुष्टि प्रदान करेगा। साथ ही, भाषा और कथ्य दोनों में ही इसकी निजता उन्हें आकर्षित करेगी।
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