Premchand Ke Phate Joote

Paperback
Hindi
9789326351669
15th
2023
324
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प्रेमचन्द के फटे जूते - हिन्दी के प्रख्यात व्यंग्यकार, कथाकार एवं लेखक हरिशंकर परसाई (1924-1995) की व्यंग्य-रचनाएँ स्वतन्त्र भारत का असली चेहरा हैं। उनकी रचनाओं को देखने पर पता चलेगा कि वे स्वतन्त्रता के बाद भारतीय समाज को गढ़ने और तोड़ने वाली सारी घटनाओं को तीव्रता से देख-परख रहे थे। वे भीतरी पोल को समझ रहे थे और साथ ही उन सभी मामलातों में सजग और स्फूर्त थे। उनके लेखन ने कभी धोखा नहीं खाया। उनके जैसा रचनात्मक जोख़िम उठाने वाले लेखक समकालीन समाज में विरले थे। 'प्रेमचन्द के फटे जूते' परसाई का प्रतिनिधि संचयन है। इन रचनाओं में परसाई ने अपने युग के समाज का, उसकी बहुविध विसंगतियों, अन्तर्विरोधों और मिथ्याचारों का उद्घाटन किया है। उनकी रचनाओं में हँसी से बढ़कर जीवन की तीखी आलोचना है। हरिशंकर परसाई को दिवंगत हुए अब जबकि काफ़ी समय गुज़र गया है, स्पष्ट रूप से उनकी रचनाओं पर बहुत गम्भीर विमर्श हो सकता है। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित उनके अन्य दो व्यंग्य-संग्रह हैं— 'सदाचार का तावीज़' और 'जैसे उनके दिन फिरे'। दोनों अद्वितीय।

हरिशंकर परसाई (Harishankar Parsai)

हरिशंकर परसाईजन्म: 22 अगस्त, 1924। जन्म-स्थान: जमानी गाँव, जिला होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)। मध्यवित्त परिवार। दो भाई, दो बहनें। स्वयं अविवाहित रहे। मैट्रिक नहीं हुए थे कि माँ की मृत्यु हो गई और लकड़ी के

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