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Khutoot Se Numanyan Hamdam

Hardbound
Hindi
9789387919709
1st
2019
600
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₹1,000.00

ख़ुतूत से नुमायाँ हमदम - "एकान्त का सम्बोधन : हर संवेदनशील क्षण एकान्त में किसी अपने को सम्बोधन करना चाहता है। वह भावुक भी होता है और सचेत भी। यह जानते हुए भी कि उसका लिखा एक ख़ास दृष्टिकोण से पढ़ा जायेगा फिर भी वह लिखता है कि कोई तो कभी सही परिप्रेक्ष्य में पढ़ेगा। इस खण्ड में डॉ. धनंजय वर्मा का कमलेश्वर के पत्रों पर आधारित आलेख है। दोनों लेखकों का जहाँ एक घोषित बाह्य जगत है, वहीं अघोषित आन्तरिक दुनिया भी। उन्हें व उनके सम्पादकीय चरित्र को स्मरण और बेबाक अभिव्यक्ति यहाँ दो लेखकों का सम्बोधन है और एकान्त भी। डॉ. वर्मा ने 'ख़ुतूत से नुमायाँ हमदम' शीर्षक से एक श्रृंखला बनायी है जिसमें उन्होंने अनेक लेखकों के एकान्त को नुमायाँ किया है।" —लीलाधर मंडलोई : नया ज्ञानोदय : साहित्य वार्षिकी 2015 'खुतूत से नुमायाँ हमदम' स्तम्भ का धारावाहिक प्रकाशन साहित्येतिहास, साहित्य पत्रकारिता और पत्र (कथा) विधा की दृष्टि से एक विरल घटना है... पूरे पत्राचार के केन्द्र में हैं— धनंजय वर्मा— फिर उस केन्द्र से त्रिज्याएँ फूट-फूटकर विभिन्न लेखकों का स्पर्श करती हुई साहित्येतिहास की एक परिधि बनाती गयी हैं। एक तो पत्र अपने आप में महत्त्वपूर्ण होते हैं, दूसरे ये छपने के लिए नहीं लिखे जाते इसलिए इनमें पत्र लेखक के मन को, उसके विचारों और भावनाओं को हम सही रूप में देख सकते हैं। पत्र जितना अनौपचारिक होगा, उतना ही महत्त्वपूर्ण होगा। पत्र अपने समय के साक्षी होते हैं। इनमें पत्र जिस अवधि में लिखे जाते हैं, उस समय से जुड़ा इतिहास, घटनाएँ, विचारधाराएँ, प्रतिक्रियाएँ हमें धड़कती हुई मिल जाती हैं। पत्रों में एक इतिहास साँस लेता रहता है। —डॉ. रामशंकर द्विवेदी (समावर्तन: जुलाई 2015 )

डॉ धनंजय वर्मा (Dr. Dhananjay Verma )

धनंजय वर्मा - जन्म: 14 जुलाई, 1935। शिक्षा: जगदलपुर, रायपुर (छत्तीसगढ़), सागर (मध्यप्रदेश) एम.ए., पीएच.डी. 1959 से छत्तीसगढ़ महाविद्यालय, रायपुर में अध्यापन शुरू, मध्य प्रदेश शासन के उच्च शिक्षा विभाग के

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