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Andharua

Hardbound
Hindi
NA
1st
1988
150
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₹45.00

अंधारुआ - वर्ष 1986 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित शीर्षस्थ ओड़िया साहित्यकार डॉ. सच्चिदानन्द राउतराय अन्यतम कवि होने के साथ ही एक प्रख्यात कथा-शिल्पी और साहित्य-चिन्तक भी हैं। उनकी कहानियों ने फ्रॉयड और युंग के मनोविश्लेषण का ओड़िया साहित्य जगत् में प्रवेश कराया। 1935 में प्रकाशित उनका उपन्यास 'चित्रग्रीव' ऐंटी नॉवल (अ-उपन्यास) का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। स्मरणीय है कि विश्व साहित्य में ऐंटी नॉवल का आन्दोलन बाद में शुरू हुआ था। जनकवि सची राउतराय ने अपनी कहानियों के लिए भी विषय और पात्र जनजीवन से ही उठाये हैं। उनकी अधिकतर कहानियाँ श्रमिक, कृषक तथा अन्य पिछड़े वर्गों के संघर्षों, अभावों और उत्पीड़नों के बारे में हैं जो समसामयिक जीवन की विद्रूपता और विकृतियों पर तीख़ा व्यंग्य करती है। उनका साहित्य एक क्षयी सामाजिक व्यवस्था के विरुद्ध मानव अधिकारों का एक आक्रोशी घोषणा-पत्र है। वह मानव गरिमा और भय मुक्ति के मन्त्रदाता हैं। शीर्षक-कथा 'अँधारुरा' का नायक इसका हृदय-द्रावक उदाहरण है कि किस प्रकार सामाजिक कुरीतियाँ, रूढ़ियाँ, अन्धविश्वास और आडम्बर एक सीधे-सच्चे मेहनती किसान का विध्वंस कर देते हैं। सची राउतराय लगभग 50 वर्ष से साहित्य साधना में तल्लीन हैं। प्रस्तुत हैं उनके सम्पूर्ण कथा-साहित्य में से चुनी गयीं सर्वाधिक चर्चित और प्रशंसित 22 कहानियाँ। हमें पूरा विश्वास है कि हिन्दी के सुधी कथा-प्रेमी भारतीय कथा-यात्रा के इन महत्त्वपूर्ण पड़ावों से अवगत होकर परितृप्ति का अनुभव करेंगे।

सच्चिदानंद रौतरी अनुवाद शंकरलाल पुरोहित (Satchidananda Rautroy Translated by Shankarlal Purohit )

सच्चिदानन्द राउतराय - जन्म: 1916, खुर्धा, उड़ीसा में स्वाधीनता संग्राम सहित अनेक आन्दोलनों में भाग लेने के कारण कई बार जेल यात्रा। बी.ए. करने के उपरान्त बीस वर्ष तक कलकत्ते में नौकरी और फिर कटक-वास

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