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Aadigranth Mein Sangraheet Sant Kavi

Hardbound
Hindi
8126309040
1st
2003
112
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₹75.00

आदिग्रन्थ में संगृहीत सन्त कवि - आदिग्रन्थ (गुरु ग्रन्थ साहब) का सम्पादन चार सौ वर्ष पूर्व हुआ था। एक धार्मिक परम्परा के किसी गुरुद्वारा में उस समय ऐसे किसी ग्रन्थ की परिकल्पना करना, जिसमें इस विशाल देश के विभिन्न भागों में फैले उन पूर्ववर्ती सन्तों की वाणियों का संकलन हो जिनकी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि और भाषा में बहुत अन्तर हो और उनमें अनेक ऐसे हों जिनकी वाणी की उपलब्धता बहुत दूभर हो, अपने आप में बड़ी अद्भुत बात थी। गुरु अर्जुन देव ने इस ग्रन्थ में बंगाल के जयदेव से लेकर सिन्ध के सधना तक और मुलतान के शेख़ फ़रीद से लेकर महाराष्ट्र के नामदेव तक फैले 15 सन्तों की वाणियों का चयन किया और उसे एक पूज्य धर्मग्रन्थ बना दिया। इस रचना में आदिग्रन्थ के सम्पादन की पृष्ठभूमि के साथ ही ऐसे सन्तों की पहचान, उनकी पृष्ठभूमि तथा उनकी समान अवधारणाओं पर कुछ विचार किया गया है और इस तथ्य को रेखांकित किया गया है कि सम्पूर्ण भारतीय चिन्तन और भक्ति आन्दोलन को आदिग्रन्थ कितनी दूर तक प्रतिबिम्बित करता है।

डॉ. महीप सिंह (Dr. Maheep Singh )

जन्म: 15 अगस्त, 1930, ज़िला उन्नाव के एक गाँव में जहाँ माता-पिता कुछ वर्ष पूर्व 'सराय आलमगीर' ज़िला गुजरात (पश्चिमी पंजाब, अब पाकिस्तान) से आकर बस गये थे। शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी.। अध्यापन: 1955 से 1993 तक मुम्ब

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