जो घर फूँके - "आप इस बात को भले न जानें और अच्छा है कि इससे एक हद तक विरत रहें कि आज व्यंग्य रचना के अद्वितीय पूर्वजों के बाद आपके ऊपर हिन्दी के विवेकी पाठकों का ध्यान सबसे ज़्यादा है... मेरी कामना है कि हिन्दी की परम्परा में आप एक ध्रुवतारे की तरह चमकें।"—ज्ञान रंजन "व्यंग्य को हल्के-फुल्के विनोद से अलगाकर एक गम्भीर रचनाकर्म के रूप में स्वीकार करने वाले नये व्यंग्यकारों में ज्ञान चतुर्वेदी का उल्लेखनीय स्थान है... उन्होंने चालू नुस्खों की बजाय भारतीय कथा की समृद्ध परम्परा से अपने व्यंग्य की रचनाविधि को संयुक्त किया है... बेतालकथा की तरह रूपक, दृष्टान्त और फ़ैंटेसी के माध्यम से उन्होंने समकालीन विसंगतियों के यथार्थ को अपेक्षाकृत अधिक व्यापक और प्रभावशील ढंग से प्रतिबिम्बित किया है।"—डॉ. धनंजय वर्मा "आपकी स्फुट रचनाओं में बड़ी ताजगी है और दर्जनों तथाकथित व्यंग्यकारों की कृतियों के विपरीत उनकी अपनी विशिष्टता भी।"—श्रीलाल शुक्ल
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