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Vikramaditya-Katha

Paperback
Hindi
8126310952
3rd
2016
392
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₹300.00

विक्रमादित्यकथा - राधावल्लभ त्रिपाठी संस्कृत का आधुनिकता की संस्कार देनेवाले विद्वान और हिन्दी के प्रखर लेखक, कथाकार हैं। ‘विक्रमादित्यकथा' इधर लिखी उनकी असाधारण कथा-कृति है। संस्कृत के महान गद्यकार महाकवि दण्डी पदलालित्य के लिए विख्यात हैं। ‘दशकुमारचरित' उनकी चर्चित कृति है। परन्तु इधर डॉ. राधावल्लभ त्रिपाठी को उनकी एक और संस्कृत कृति 'विक्रमादित्यकथा' की जीर्ण-शीर्ष पाण्डुलिपि हाथ लग गयी। इस कृति को हिन्दी में औपन्यासिक रूप देकर डॉ. त्रिपाठी ने एक ओर मूल कृति के स्वरूप की भी रक्षा की है और दूसरी ओर उसे एक मार्मिक कथा के रूप में अवतरित किया है। इस कृति से उस युग का नया परिदृश्य उद्घाटित होता है और पाठक का मनोलोक अनोखे सौन्दर्य से भर उठता है। आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उपन्यास 'बाणभट्ट की आत्मकथा' की परम्परा को यह रचना आगे बढ़ाती है। विश्वास है कि इसका एक सांस्कृतिक धरोहर और रोचक औपन्यासिक कृति के रूप में हिन्दी पाठक भरपूर स्वागत करेंगे।

राधावल्लभ त्रिपाठी (Radhavallabh Tripathi )

राधावल्लभ त्रिपाठी - जन्म: 15 फ़रवरी, 1949, मध्य प्रदेश के राजगढ़ ज़िले में। शिक्षा: एम.ए., पीएच.डी., डी. लिट्.। 1970 ई. से विश्वविद्यालयों में अध्यापन, तीन वर्ष (2002-2005) शिल्पाकार्न विश्वविद्यालय (बैंकाक) में

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