शब्द भी हत्या करते हैं - वरिष्ठ कथाकार हृदयेश अब भी न सिर्फ़ सृजनशील रचनाकार हैं, बल्कि क़स्बाई पृष्ठभूमि पर कथा कहने का उनमें अच्छा माद्दा है। उनके उपन्यास 'भी हत्या करते हैं' के ऐसे अनेक पात्र हैं जो अपने समय और समाज का पूरा व्यक्तित्व स्वयं में समेटे हुए हैं। इस उपन्यास में विन्यस्त समकाल हमारे मौजूदा यथार्थ का मात्र प्रतिबिम्ब नहीं है, बल्कि इक्कीसवीं सदी के उस दारुण और नृशंस वर्तमान का दस्तावेज़ भी है जिसका राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक ठेकेदारों द्वारा अक्सर छद्म महिमामण्डन किया जाता है। यह अकारण नहीं कि इन ठेकेदारों के पास इसके कई मुफ़ीद बहाने हुआ करते हैं, जिनमें विचारधारा भी अक्सर एक ढाल बनकर उपस्थित होती है। शब्द भी हत्या करते हैं में लेखक ने सभी प्रकार की विचारधाराओं पर मानवीयता को तरज़ीह दी है।
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