Pratisansar

Manoj Rupda Author
Paperback
Hindi
9788126314539
1st
2021
108
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प्रतिसंसार - अपने दो कहानी संग्रहों 'दफ़न और अन्य कहानियाँ' तथा 'साज़-नासाज़' के साथ मनोज रूपड़ा हिन्दी कथा-साहित्य में अपना महत्त्व सिद्ध कर चुके हैं। मनोज की कहानियों में जिस आख्यान-वृत्ति को महसूस किया गया था उसी का विस्तार है उनका पहला उपन्यास 'प्रतिसंसार'। राजनीति, समाज, विचारधारा, विमर्श तथा चुनौतियों और समस्याओं के प्रति प्रचलित नारेबाज़ी और वितण्डावाद के विरुद्ध ऐसे रचनाकार कम हैं जो इन ज़रूरी मुद्दों से अपनी रचना को असम्पृक्त कुछ इस प्रकार करते हैं कि ऊपरी सतह पर ये दिखते नहीं बल्कि रचना का प्राण बनकर समुपस्थित रहते हैं। 'प्रतिसंसार' इसका सशक्त उदाहरण है। यह उपन्यास भूमण्डलीकरण, विस्फोटक सूचना क्रान्ति, बाज़ारवाद, उपनिवेशवाद, नवफ़ासीवाद से उत्पन्न कृत्रिम संसार को उसकी समस्त बीभत्सता और दुष्काण्डों के साथ सजीव बनाता है, जिसकी प्रतिबद्धता असामाजिकता, संवादहीनता, संवेदना, स्मृति और स्वप्न के स्थगन अर्थात् निर्जीवता के प्रति है। संसार के बरअक्स संसार की टकराहटों को, मनोज रूपड़ा उपन्यास में अर्धविक्षिप्त नायक आनन्द के माध्यम से जिस सिनेमेटिक अन्दाज़ में व्याख्यायित करते हैं वह संक्रमणकाल में जूझती हुई मनुष्यता का 'क्रिटीक' बनने से नहीं बच पाता। सन्देह नहीं कि नये कथा-शिल्प-विधान के कारण यह उपन्यास पाठक को बहुत आकर्षित करेगा।

मनोज रूपड़ा (Manoj Rupda)

मनोज रूपड़ाजन्म : 16 दिसम्बर 1963शिक्षा और संस्कार : मध्य प्रदेश के दुर्ग ज़िले में ।प्रकाशन : दफ़न और अन्य कहानियाँ, साज़ - नासाज़, टावर ऑफ़ साइलेंस (कहानी-संग्रह), प्रतिसंसार (उपन्यास) ।सम्प्रति : न

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